ले फेल हो गये तेरे सारे उपाय रे
अब हाय हाय मच गई है हाय हाय रे
पहले पहल विकास का एजेन्डा चलाया
और भाईचारा बाद में आपस का मिटाया
मजहब के नाम पर यहाँ हम सबको लडाया
करना नहीं था जो यहाँ वो तुने कराया
भारत के लुटेरों को तरीके से भगाया
फिर हिन्दु धर्म खतरे मे है सबको बताया
नफरत मिला मिला के पिलाई वो चाय रे
अब हाय हाय मच गई है हाय हाय रे ।
कुछ लोगों को विश्वास के पाले मे ले लिया
फिर भक्त बनाकर उन्हे हाले मे ले लिया
भक्तों को लगा हमको उजाले में ले लिया
अजगर ने सबको एक निवाले मे ले लिया
इल्जाम गरीबों पे लगाने से ना चूका
ईस देश का मजदुर तडपता रहा भुका
उसपर पकोडे तलने की देता है राय रे
अब हाय हाय मच गई है हाय हाय रे ।
जिसनें किया सवाल वो गद्दार हो गया
सच बोलने वाला यहाँ मक्कार हो गया
तलवे जो चाटने लगा खुद्दार हो गया
फिर मिडीया भी उसका तरफदार हो गया
भक्तों कि अंध भक्ति पे रोटी है सेकता
करता है मन कि बात तु जुमले है फेंकता
आता नहीं है कुछ तुझे ईसके सिवाय रे
अब हाय हाय मच गई है हाय हाय रे ।
पब्लिक मे नहीं आता तु तकता है दुर से
फुरसत नहीं मिलती तुझे फारेन के टुर से
तु चौकीदार खुद को बताता है गर्व से
उत्साह बढा देता है उरी के पर्व से
तुने ही नमस्ते टरम का खेल रचाया
यानी मेरे वतन मे कोरोना को बुलाया
हम थक चुके हैं तुझसे, तुझे बाय बाय रे
अब हाय हाय मच गई है हाय हाय रे ।
शायर सईद अख्तर
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